पीसीओडी समस्या बन सकती है गर्भधारण में बाध
Shivam IVF Centre Delhi
“पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम” या “पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर” एक ऐसी आरोग्य स्थिति है जो आमतौर पर रिप्रोडक्टिव उम्र
कीमहिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण पाई जाती है । पीसीओडी में अंडाशय की बाहरी दीवार पर गाँठ बन जाती है जिसकी वज़ह से महिलाके हॉर्मोन स्तर में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है | इस हार्मोनल असंतुलन की वज़ह से महिला अनियमित या अत्यधिक माहवारी जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है |
पीसीओडी के अन्य कुछ लक्षण है चेहरे पर बाल आना, मुहांसे और तैलीय त्वचा, बालो का झड़ना इत्यादि | इसके अलावा उच्च
रक्तचाप, मधुमेह दूसरे हॉर्मोन्स का असंतुलन भी इसके बढ़ने पर हो सकते हैं।
हॉर्मोन का महिला की प्रजनन क्षमताओं पर सीधा असर पड़ता है और इनमे असंतुलन के कारण महिला को निःसंतानता या बार-बार
गर्भपात कासामना करना पड़ सकता है | पीसीओडी की समस्या से कई महिलाएँ प्रभावित होती है और समय रहते इसका उपयुक्त उपचार लेकर निःसंतानताएवं इससे जुडी अन्य परेशानियों को दूर किया जा सकता है |
जो महिलाएँ पीसीओडी से प्रभावित है उनके लिए गर्भधारण करें हेतु आईवीएफ तकनीक काफी कारगर साबित हो सकती है |
इस प्रक्रिया मेंहॉर्मोन के स्तर को संतुलित कर महिला के अंडाशय (ओवरी) में उच्च गुणवत्ता के अन्डो का निर्माण करा जाता है | इन अन्डो के परिपक्व होने परमामूली से शल्य प्रक्रिया द्वारा इन अन्डो को महिला के शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है | इन अन्डो को पुरुष साथी के शुक्राणुओं से लैब केनियंत्रित वतावरण में संपर्क में लाया जाता है जिससे निषेचन द्वारा भ्रूण तैयार होता है | इस भ्रूण को 3-5 दिन के बाद महिला के गर्भाशय मेंप्रतियारोपित कर दिया जाता है जिससे गर्भधारण हो सके | इसके बाद की पूरी प्रक्रिया सामान्य गर्भधारण के तरह ही पूर्ण होती है | निःसंतानता से जुडी परेशानियों और इनके समाधान एवं इलाज की जानकारी और परामर्श के लिए शिवम् आईवीएफ सेंटर दिल्ली के फर्टिलिटी विशेषज्ञ से बात करे | आप कमेंट सेक्शन या फेसबुक चेट द्वारा अपने सवालो का जवाब प्राप्त कर सकते है अथवा हमारे हेल्पडेस्क 09810740459, 8287615626 पर कॉल करे | अथवा आप हमें contact@shivamivfcentre.com पर मेल भी भेज सकते है | |
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